उम्मेद अस्पताल की एक यूनिट में 99 मासूम बच्चों की देखरेख सिर्फ 2 नर्सिंग कर्मचारियों के भरोसे

 बच्चों की जान बचाने के लिए जितनी जरूरत विशेषज्ञ डॉक्टर की है, उतनी ही आवश्यकता नर्सेज व वार्ड बॉय की भी है, क्योंकि बच्चे की देखरेख सही नहीं होगी, दवा नहीं देंगे तो इलाज होगा कैसे? वार्ड बॉय व सफाईकर्मी नहीं होंगे तो ऑपरेशन में सहयोग कौन करेगा और सफाई नहीं हुई तो संक्रमण से कौन बचाएगा? इन व्यवस्थाओं को चैक करने जब भास्कर संभाग के सबसे बड़े उम्मेद अस्पताल की दूसरी मंजिल की यूनिट के कमरों में पहुुंचा तो वहां 99 बच्चों पर सिर्फ 2 ही नर्स ड्यूटी पर मिलीं। मां ही अपने बच्चों को नेबुलाइज करवा रही थी, नर्स थैरेपी रूम में एक नवजात को देखने में व्यस्त थी, क्योंकि सामान्य वार्ड के अलावा नवजात बच्चों के लिए गहन चिकित्सा इकाई की जिम्मेदारी भी इन्हीं दो नर्स स्टाफ की है। जैसे ही वह वार्ड में पहुंची, हर मां उसे अपने बच्चे को देखने के लिए घेर बैठी तो वह भी परेशान हो गई। कायदे से एमसीआई की गाइडलाइन के मुताबिक हर 3 बच्चे पर 1 नर्स होनी चाहिए, मगर यहां तो 50 बच्चों पर एक नर्स पोस्टेड है। उम्मेद में नर्सिंग स्टाफ का आंकड़ा देखंे तो नर्सिंग अधीक्षक के 14 पद स्वीकृत हैं, वे सभी रिक्त हैं। नर्सिंग ग्रेड द्वितीय के 326 पद स्वीकृत हैं, जिनमें आज भी 147 खाली पड़े हैं।


ये लाचारी... सरकार ने स्टाफ देना बंद कर दिया हालात सुधरेंगे कैसे?


कुछ समय पहले ही जोधपुर के एमडीएमएच में रक्त संबंधी बीमारियों के मरीजों का इलाज करने के लिए हेमेटोलॉजी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के दो पद स्वीकृत हुए थे। सरकार ने यहां आने वाले मरीजों की देखरेख के लिए अलग से एक भी नर्सिंग स्टाफ नहीं दिया। ये पद भी इस शर्त पर मंजूर किए कि उन्हें अस्पताल में मौजूद स्टाफ के बूते ही काम चलाना होगा, दूसरा स्टाफ स्वीकृत नहीं किया जाएगा।


जोधपुर के दूसरे अस्पतालों में भी बुरा हाल



यही तस्वीर 6 अन्य मेडिकल कॉलेज की



इसीलिए ऐसी घटनाएं... नर्स व्यस्त थी तो वार्ड बॉय ने हटाए मरीज के बाल, कई जगह से जख्मी कर दिया
पांच महीने पहले महात्मा गांधी अस्पताल के ऑर्थोपेडिक विभाग में भर्ती मरीजों की देखरेख के लिए एक ही नर्स लगी हुई थी। तभी वहां एक गंभीर मरीज आ गया तो वह उसे देखने में व्यस्त हो गई। इस बीच पहले से भर्ती दूसरे मरीज को ऑपरेशन के लिए तैयार करना था तो यह काम वार्ड बॉय के जिम्मे डाल दिया। वार्ड बॉय ने मरीज के शरीर के बाल हटाने के दौरान उसे कई जगह से जख्मी कर दिया। परिजनों ने उसे लहूलुहान देखा तो भड़क गए, उन्होंने अस्पताल प्रशासन से शिकायत भी की, मगर वह फाइलों में इसलिए दब कर रह गई, क्योंकि प्रशासन भी जानता था कि स्टाफ ही नहीं है तो यह काम किससे कराएं?


नर्सिंग केयर का सुधार सबसे जरूरी
गायनी, पीडियाट्रिक और क्रिटिकल केयर वार्ड में सबसे महत्वपूर्ण रोल नर्सिंग केयर का होता है। यूं कहें, कि अस्पतालों की रीढ़ की हड्‌डी ही नर्सेज है, लेकिन प्रदेश में सभी जगह अस्पतालों में नर्सिंग स्टाफ की कमी है। इसके लिए जरूरी है कि सरकार अपनी पीएचसी-सीएचसी काे स्ट्रेंथन करे जिससे गांव और दूरदराज से मेडिकल कॉलेज में आने वाले मरीजों को बेहतर सुविधा मिल सके।


Popular posts